84,00000 योनियो में केवल मनुष्य योनि में ही साधना रुपी पुरुषार्थ करते हुए परमात्मा को जाना-समझा जा सकता है। फिर परमात्मा का ज्ञान-विज्ञान तत्व रुप से समझ आ जाने से परमात्मा से प्रभावित हो मनुष्य की भौतिक विषयों के प्रति सहज ही अरुचि पैदा हो परमात्मा की भक्ति आरंभ हो जाती है.....सुधीर भाटिया फकीर
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