प्रकृति के 3 गुणों में सतोगुण, रजोगुण व तमोगुण में भगवान का चिंतन होने मात्र से मन सतयुगी बन जाता है और तमोगुण का चिंतन ही हमारे तन और मन को कलयुग में ले आता है, हम सभी मनुष्यों की दिनचर्या में कोई एक गुण प्रदान रहता है, जो हम स्वयं ही जानते हैं, जबकि रजोगुण अप्रत्यक्ष रूप से व तमोगुण प्रत्यक्ष रूप से मनुष्य को हानि ही देते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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