साधारण परिस्थितियों में अक्सर मनुष्य शिष्टाचार के स्तर पर परमात्मा को याद करता हुआ दिखाई देता है, लेकिन मनुष्य को परमात्मा की सहज रूप से याद नहीं आती, तब ऐसी स्थिति में हमें समझ लेना चाहिए कि अभी तक हमने परमात्मा को यथार्थ रूप से जाना ही नहीं है, जबकि परमात्मा को जानने का एक सरल आरम्भिक उपाय निरंतर सत्संग करते रहना ही है, जिससे अक्सर मनुष्य बचता रहता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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