जब गीता में ही भगवान श्रीकृष्णजी ने इस संसार को दुखालय नाम से सम्बोधित किया है अर्थात् दुखालय रूपी संसार में रहते हुए हम सभी मनुष्यों को दुख रूपी ताप कम-अधिक मात्रा में अपने-अपने कर्मों के हिसाब से मिलते ही रहते हैं, यही एक सच्चाई है, फिर भी मनुष्य अपनी सात्विक दिनचर्या नहीं बनाता ?.....सुधीर भाटिया फकीर
Comments
Post a Comment