वेद-शास्त्रों को परमात्मा की वाणी यानी अपौरुषेय कहा गया है, फिर इन्हीं का सरलीकरण करते हुए मायातीत महापुरुषों द्वारा उपनिषद व पुराण लिखे गए। इन सभी शास्त्रों में एक-एक शब्द तौल-तौल कर कहा गया है। इन शब्दों में गहरे अर्थ छिपे रहते हैं, जिसपर निरंतर गहन चिंतन ब्रह्ममुहूर्त में करते रहने से ही विवेक-शक्ति जागृत होती है.....सुधीर भाटिया फकीर
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