मनुष्य का धार्मिक दुनिया में आरम्भिक प्रवेश कर्मकांडों से जुड़कर ही होता है, भले ही यह कर्मकांड लोभ से किये जायें या भय से, लेकिन 99% लोग यहीं रुके रह जाते हैं, जिससे मनुष्य आगे की आध्यात्मिक यात्रा पर चलने से वंचित रह जाता है। इसपर चिन्तन करें.....सुधीर भाटिया फकीर
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