मनुष्य योनि में ही मनुष्य को परमात्मा को जानने, समझने व पाने की पात्रता रूपी एक सुनहरा अवसर मिलता है, जिसका आरंभ केवल सत्संग करने से ही होता है, लेकिन एक साधारण मनुष्य अक्सर सत्संग के प्रति उदासीन बना रहता है यानी सत्संग के प्रति उसकी कोई विशेष रुचि नहीं होती.....सुधीर भाटिया फकीर
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