Skip to main content

संध्या-बेला सन्देश

प्रकृति ही परमात्मा की एक चलती-फिरती अदालत है, जहाँ हम मनुष्यों द्वारा किए गए सभी प्रकार के कर्मों-विकर्मों पर प्रकृति की पैनी नजर सदा ही बनी रहती है, जिनका प्रकृति एक समय अंतराल के बाद सुख-दुख रुपी फल दिये बिना छोड़ती भी नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24