कोई भी मनुष्य लाख कोशिशें कर ले, इस अपूर्ण संसार को भी पूर्ण रूप से पाया नहीं जा सकता, जबकि दूसरी ओर मनुष्य लाख नहीं, करोड़ों कोशिशें भी कर ले, परमात्मा को खोया नहीं जा सकता, जबकि परमात्मा तो पूर्ण है, फिर भी एक साधारण मनुष्य सत्संग के अभाव में परमात्मा को याद नहीं करता.....सुधीर भाटिया फकीर
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