सभी मनुष्यों को मन से स्वीकार करना ही चाहिए कि वर्तमान जीवन में मिली हुई सभी अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियां यानी मिलने वाले सुख-दुख हमारे द्वारा ही किए गए कर्मों का ही फल हैं, किसी अन्य दूसरे-तीसरे मनुष्य का नहीं और मिले हुए जीवन में अपने कर्तव्यों को प्रसन्नतापूर्वक निभाते हुए परमात्मा का चिन्तन करते रहना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर
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