5 भोग विषयों का निरंतर मन में चिंतन होते रहने से उन भोगों को भोगने की कामना प्रबल होने लगती है। फिर मनुष्य उन कामनाओं की पूर्ति के लिए प्रयास करता है, फिर इसी प्रक्रिया में ही मनुष्य से कब पाप कर्म हो जाते हैं, मनुष्य को स्वंय भी पता नहीं चलता, जो भविष्य में हमारे दुख का कारण बनते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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