शास्त्रों में भौतिक प्रकृति को स्वभाव से ही अन्धकारमयी बताया गया है। यहाँ के मिलने वाले सभी सुख अल्पकालिक यानी अस्थाई ही होते हैं, फिर भी एक साधारण मनुष्य सत्संग के अभाव में व संसार की चकाचौंध के प्रभाव से इन अस्थाई सुखों को भोगने के लिए दिन-रात मेहनत करता हुआ कर्म ही नहीं, पाप-कर्म भी कर स्वयं ही अपना बड़ा भविष्य बर्बाद कर लेता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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