संसार में सभी मनुष्य अपनी ही बात को ऊपर रखना चाहते हैं यानी अपना ही ढोल पीटना चाहते हैं यानी अपनी ही सत्ता चाहते हैं, इसी प्रक्रिया में मनुष्य स्वयं को सफल करने मे दूसरे मनुष्यों को असफल करता हुआ कितने अधिक पाप-कर्म कर जाता है, मनुष्य को पता ही नहीं चलता.....सुधीर भाटिया फकीर
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