सुख की इच्छा करना सभी जीवों का स्वभाव है। दुख पाने की इच्छा कभी भी किसी भी जीव की नहीं होती, जबकि प्रकृति में सुख-दुख दोनों ही किये गये कर्मों के आधार पर मिलते हैं। सतोगुण में अन्ततः सुख, रजोगुण में अन्ततः दुख, तमोगुण में मोह/अज्ञानता की स्थिति में अक्सर पाप-कर्म ही अधिक होते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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