एक साधारण मनुष्य का मन अक्सर सत्संग के अभाव में 5 विषय-भोगों को भोगने का बना रहने की अघिक सम्भावनायें रहती हैं, जो मात्र एक अल्पकालिक अस्थाई सुख ही दे पाती है, जो अन्ततोगत्वा मनुष्य का पतन ही करवाती हैं। इस मन को केवल सात्विक बुद्धि द्वारा ही नियंत्रण में लिया जा सकता है और सात्विक बुद्धि बिना सत्संग के नहीं बनती.....सुधीर भाटिया फकीर
Comments
Post a Comment