हम सभी मनुष्यों की इच्छा सदा ही सुख पाने की बनी ही रहती है कि बड़े से बड़ा सुख मिले और सुख घटे नहीं व सुखों को भोगने की हमारी इंद्रियां भी सदा जवान बनी रहे, किंतु ऐसा हो पाना संभव ही नहीं है, जबकि प्रकृति स्वयं भी प्रतिक्षण प्रलय की ओर ही अग्रसर है.....सुधीर भाटिया फकीर
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