केवल मनुष्य योनि में ही परमात्मा ने कर्म करने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की है, इस मिली हुई स्वतंत्रता यानी अधिकार का मनुष्य को सदा सदुपयोग करना चाहिए, अन्यथा इन शक्तियों का दुरुपयोग होने से मनुष्य की अधोगति यानी निम्न योनियों में जन्म लेने की सम्भावनायें प्रबल होने लगती हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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