सभी आत्माओं में परम सुख/आनन्द पाने की इच्छा बने रहना एक स्वभाव है, दुख पाने की इच्छा कभी नहीं होती, जबकि प्रकृति द्वैत है, यहां सुख-दुख दोनों ही मौजूद रहते हैं, जबकि परमात्मा ही आनन्दस्वरुप सत्ता है, जिसकी सम्मुखता बने रहने से ही आत्मा आनंदित हो सकती है, अन्यथा नहीं..... सुधीर भाटिया फकीर
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