अधिकांश मनुष्यों के जीवन में जब-जब सुख लम्बे समय तक जीवन में बने रहते हैं और मनुष्य इन सुखों को राग पूर्वक भोगता है, तब-तब इन्सान में अक्सर इंसानियत का बने रहना कुछ कठिन हो जाता है यानी मनुष्य के मन में परमात्मा की भी क्रमश: विस्मृति होने लगती है.....सुधीर भाटिया फकीर
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