मनुष्य को अपने जीवन में मिले हुए पदार्थों का कुछ अनुपात दूसरे जीवों को खिलाने में अवश्य ही रखना चाहिए, क्योंकि देने में ही सुख की अनुभूति होती है और दूसरों से सुख लेने में ग्लानि व शर्म महसूस होनी चाहिए, तभी मनुष्य का सतोगुण तेजी से बढ़ता हुआ हमारी आध्यात्मिक यात्रा आरंभ करवाता है, अन्यथा एक साधारण मनुष्य का सारा जीवन यूँ ही व्यर्थ चला जाता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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