जैसे जल का अपना स्वभाव शीतलता है, लेकिन अग्नि के संपर्क में आने से (चाय...) उसमें उबाल आ जाता है। इसी तरह मनुष्य के स्वभाव में सात्विकता सहज ही बनी रहती है, लेकिन सत्संग के अभाव में कुसंग सहज ही होने से मनुष्य का स्वभाव बिगड़ने लगता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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