एक साधारण मनुष्य के जीवन में सत्संग के अतिरिक्त होने वाला सभी प्रकार का संग कुसंग ही माना जाता है, भले ही रजोगुण का संग अप्रत्यक्ष कुसंग है और तमोगुण का संग प्रत्यक्ष कुसंग है, जो कब कितने पाप-कर्म करवा लेता है, मनुष्य को स्वयं भी पता नहीं चलता.....सुधीर भाटिया फकीर
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