प्रकृति मनुष्य योनि में किये गए सकाम कर्मों के आधार पर हमें फल देती है, जबकि भगवान ने हमें जीवन की कर्म-परीक्षा में नकल करने की भी छूट दे रखी है कि हम शास्त्रों को पढ़कर/सुनकर या समझ कर अपने कर्मों में सुधार ला फेल यानी अधोगति से तो बच ही सकते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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