धन नहीं होने से कम-अघिक दुख मिलते ही हैं, लेकिन धन होने से भी सदा सुख मिलता है, ऐसा भी नहीं है। देखिए, सच्चाई तो यह है कि दुख रहित सुख/आनंद प्रकृति में ही नहीं है, यह तो केवल परमात्मा का दिव्य गुण है, जो परमात्मा को पाने से ही मिलेगा, अन्यथा नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर
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