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संध्या-बेला सन्देश

संसार में सभी मनुष्यों की लोभ की स्थिति भले ही प्रत्यक्ष रूप से जग-जाहिर रहती है, जबकि परिवारिक स्तर पर भी मोह-ममता में अप्रत्यक्ष रूप से लेने की ही आशा छिपी रहती है। केवल प्रेम होने पर ही सदा देकर प्रसन्नता होती है, लेकर नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर

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