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संध्या-बेला सन्देश

सत्संग के अभाव में मनुष्यों के अधिकांश कर्म सकाम भाव से स्वयं के सुख के लिए अर्थात् रजोगुण में रह कर ही कर्म होते हैं, जबकि निरन्तर सत्संग करते रहने से ही सतोगुणी स्थिति जन्म लेती है, जिसके फलस्वरूप कर्मों में सुधार होता है••••सुधीर भाटिया फकीर

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