भौतिक-ज्ञान लेने के उपरांत अर्जित धन से सुख-सुविधा-स्वाद आदि पदार्थों को ही खरीदा जा सकता, लेकिन सुख-शान्ति नहीं, जबकि आध्यात्मिक ज्ञान, जो केवल निरन्तर सत्संग करने से ही प्राप्त होता है, ऐसा करने पर ही मनुष्य को सुख-शान्ति मिल सकेगी, अन्यथा नहीं ?.....सुधीर भाटिया फकीर
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