Skip to main content

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

सृष्टि के आरम्भ से ही वेदों द्वारा ज्ञान प्रदान किया जाता है, जिसे किसी ने भी लिखा नहीं है। इसीलिए इसे अपौरुषेय भी कहा गया है। वेदों में ही बताया गया है, कि मनुष्य को अपने जीवन में क्या-क्या करना चाहिए अर्थात् यह करो और यह मत करो, यानी कि विधि-विधान द्वारा कर्म होने से ही सुख की प्राप्ति होती है और निषेध कर्म करने से भविष्य में दुख की प्राप्ति अवश्य ही होती है. इसलिए हमारा कोई भी कर्म प्रकृति के किसी भी जीव के हित के विरुद्ध नहीं होना चाहिये.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24