सृष्टि के आरम्भ से ही वेदों द्वारा ज्ञान प्रदान किया जाता है, जिसे किसी ने भी लिखा नहीं है। इसीलिए इसे अपौरुषेय भी कहा गया है। वेदों में ही बताया गया है, कि मनुष्य को अपने जीवन में क्या-क्या करना चाहिए अर्थात् यह करो और यह मत करो, यानी कि विधि-विधान द्वारा कर्म होने से ही सुख की प्राप्ति होती है और निषेध कर्म करने से भविष्य में दुख की प्राप्ति अवश्य ही होती है. इसलिए हमारा कोई भी कर्म प्रकृति के किसी भी जीव के हित के विरुद्ध नहीं होना चाहिये.....सुधीर भाटिया फकीर
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