Skip to main content

संध्या-बेला सन्देश

जैसे प्रकाश के अभाव में अन्धकार आ जाता है, उसी तरह ज्ञान के अभाव में मन में अज्ञानता बनी रहती है, जिसे अक्सर मनुष्य स्वीकार नहीं करता, जबकि सच्चाई यह है कि निरन्तर सत्संग करते रहने से ही क्रमश: अज्ञानता समाप्त होने लगती है, अन्यथा नहीं•••सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24