Skip to main content

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य योनि को ही कर्म व साधना योनि कहा गया है, इसीलिये मनुष्य को कर्म करने की स्वतन्त्रता दी गई है और भगवान कभी भी मनुष्य के कर्मक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करते, भले ही अन्दर से शुभ कर्मों को करने की व पाप-कर्मों से बचने की प्रेरणा देते रहते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24