Skip to main content

संध्या-बेला सन्देश

मनुष्य जब अपने जीवन में विषय-भोगों को मर्यादा से अधिक भोगता है, तभी मनुष्य के भीतर आरम्भ में तो प्रमाद रूपी राक्षस जन्म लेता है, लेकिन बाद मे फिर आलस्य और मोह भी आ जाने से मनुष्य तमोगुण की खाई मे कब गिर जाता है, मनुष्य को स्वंय पता भी नहीं चलता....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24