संसार के हम सभी मनुष्य निश्चित सांसें लेकर ही गर्भ में जन्म लेते हैं यानी हर साँस के साथ हमारा-आपका मिला हुआ जीवन छोटा होता जाता है यानी सत्संग करने का समय भी हमारे हाथ से फिसलता जाता है, क्योंकि केवल मनुष्य योनि में ही सत्संग/साधना करने का अवसर मिलता है, अन्य योनियों में नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर
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