मनुष्य योनि में ही हम अपने कारण-शरीर में गुणों का अनुपात + - यानी बढ़ा-धटा सकते हैं। हम सभी मनुष्यों को तमोगुण से परहेज, रजोगुण मर्यादा में और सतोगुण का अधिक से अधिक संग करना चाहिए, ताकि स्थूल-शरीर के रहते हुए हमारा सूक्ष्म + कारण शरीर पवित्र हो मायातीत की स्थिति को प्राप्त हों.....सुधीर भाटिया फकीर
Comments
Post a Comment