अधिकांश मनुष्य मन से स्वीकार ही नहीं करते, कि वर्तमान जीवन में मिलने वाली सभी प्रतिकूल परिस्थितियां/दुख हमारे द्वारा ही किए गए कर्मों का परिणाम/फल होती हैं, किसी दूसरे-तीसरे मनुष्य का नहीं। इसीलिए मनुष्य नये पाप-कर्म करने से भी बच नहीं पाता.....सुधीर भाटिया फकीर
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