मनुष्य द्वारा स्थूल-शरीर के स्तर पर होने वाली साधारण क्रियायें, जो अन्य जीवों को प्रभावित करती हैं, ऐसी क्रियायों से हमारा कर्माशय + संस्कार बनते हैं, लेकिन सूक्ष्म-शरीर/मानसिक चिन्तन से भले ही कर्माशय नहीं बनता, लेकिन संस्कार बनते हैं, जो भविष्य में कर्मों को दिशा देते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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