मनुष्य योनि में ही सत्संग/सतोगुण करना सम्भव है, शेष अन्य योनियों में नहीं। इसलिए हम सभी मनुष्यों को प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में अवश्य ही स्वाध्याय करते रहना चाहिए, ताकि दिन में रजोगुणी आकर्षणों से हम बच सकें, क्योंकि इन आकर्षणों की आसक्ति के कारण ही मनुष्य तमोगुण में गिरता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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