Skip to main content

ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

हम सभी भाई-बहनों को समय-समय पर अपने स्वभाव का ब्रह्ममुहूर्त में निरीक्षण करते रहना चाहिए, क्योंकि मनुष्य योनि में ही स्वभाव सुधरता भी है और बिगड़ता भी है। हम मनुष्यों के अधिकांश कर्म बने हुए स्वभाव के अनुसार ही होते हैं। इसलिए सत्संग की स्थिति में रहते हुए स्वभाव में निरंतर सुधार करते रहना चाहिए, अन्यथा ?.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24