एक साधारण मनुष्य युवावस्था में रजोगुण के पीछे तो भागता रहता है, लेकिन वृद्धावस्था आरम्भ होने से भी सतोगुण को छूने से भी बचता रहता है, तब ऐसी स्थिति में मनुष्य में अज्ञानता बनी ही रहती है, जिसके फलस्वरूप मनुष्य से पाप-कर्म भी होते ही रहते हैं•••सुधीर भाटिया फकीर
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