भौतिक प्रकृति के सभी भोग-पदार्थों का अंतिम परिवर्तन नाश होना ही होता है, फिर भी एक साधारण मनुष्य अपने मिले हुए जीवन का अघिकांश समय इन्ही नाशवान पदार्थों को पाने/भोगने के लिए पुण्य-कर्म ही नहीं करता, बल्कि पाप-कर्म करने से भी परहेज नहीं करता.....सुधीर भाटिया फकीर
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