उम्र बढ़ने के साथ-साथ मनुष्य के स्थूल-शरीर की इन्द्रियाँ विषय-भोगों को भोगने में क्रमश: कमजोर होने लगती हैं। यह भी परमात्मा की ही एक कृपा है, अन्यथा भोग-प्रेरित मन के विकार मनुष्य द्वारा किये गये सत्संग को प्रभावहीन करते जाते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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