जैसे प्रकृति मे अन्धकार सहज ही बना रहता है, केवल सूर्य का प्रकाश आने से ही अन्धकार पूर्ण रूप से समाप्त होता है। वैसे ही एक साधारण मनुष्य के जीवन में अज्ञानता कम-अधिक बनी ही रहती है, जो निरंतर सत्संग करते रहने से ही क्रमश: समाप्त होनी आरम्भ होती है, अन्यथा ?.....सुधीर भाटिया फकीर
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