प्रकृति भगवान की अपरा शक्ति है और जीव एक चेतन यानी परा शक्ति है। मनुष्य अपने जीवन में कर्मो के आधार पर ही प्रकृति से सुख-दुख रुपी फल प्राप्त करता है। इसलिए हम सभी मनुष्यों को कर्म करने से पूर्व कर्म की बारीकियों को भलीभांति जान लेना चाहिए, ताकि मनुष्य दुख रूपी फलों से तो अवश्य ही बच सके......सुधीर भाटिया फकीर
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