एक साधारण मनुष्य की विषय-भोगों में रस-बुद्धि बनी ही रहती है, फिर निरंतर विषय-भोगों को भोगने से मनुष्य में प्रमाद, आलस्य, मोह की वृतियों का पनपना कोई नई बात नहीं, इन स्थितियों के बने रहने से ही मनुष्य तमोगुण में गिरता है, फिर यह तमोगुण ही मनुष्य को सत्संग करने से रोकता है....सुधीर भाटिया फकीर
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