Skip to main content

संध्या-बेला सन्देश

संसार मे प्राय ऐसा देखा जाता है कि धन के जाने पर सत्संग में भी मन अपने आप ही लगने लगता है, जबकि धन अधिक आने पर सत्संग में भी मन उखड़ा-उखड़ा ही रहता है, फिर भी मनुष्य में धन के प्रति ही चाह बनी रहती है ?.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24