मनुष्य योनि में ही किये गये सभी प्रकार के सकाम कर्मों का केवल पदार्थ रूपी फल ही मिलता है, जबकि निष्काम-कर्मों का आध्यात्मिक ज्ञान रूपी फल मिलता है, जो विषय-भोगों की मल रूपी परतों को भी जड़ से समाप्त करता है और परमात्मा की भक्ति में भी लगाते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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