मनुष्य अपने जीवन में जितनी अधिक सात्विकता बढ़ाता जाता है, उतने ही अनुपात में मनुष्य के जीवन में प्रसन्नता व शांति आने लगती है। हालांकि सभी रजोगुणी भोग-विषय आरंभ में भले ही सुख व स्वाद देते हैं, लेकिन अन्ततः यह सभी सुख बाद में दुख यानी रोग ही उत्पन्न करते हैं•••सुधीर भाटिया फकीर
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