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ब्रह्ममुहूर्त उपदेश

कलयुग में मनुष्य प्रतिदिन की दिनचर्या में किये गए 2-4 पुण्य-कर्मों को तो याद करते नहीं थकता, लेकिन प्रतिदिन जाने-अनजाने में विषय-भोगों में आसक्त होते हुए कितने ही पाप-कर्म करता है, उसपर कभी चिन्तन नहीं करता, क्योंकि चिन्तन केवल सात्विक स्थिति में ही कर पाना संभव होता है, जो अक्सर कम समय ही बन पाती है•••सुधीर भाटिया फकीर

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