भारत में अक्सर वृद्धावस्था आने पर ऐसा देखा गया है कि अधिकांश लोग प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से भय या लोभ से सत्संग करते देखे गए हैं, भले ही आरंभिक सत्संग बेमन से ही होता है, फिर भी किया गया सत्संग मनुष्य को पाप कर्मों से तो रोक ही देता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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