संसार में भी रिश्ता यानी सम्बन्ध बनाये रखने के लिये मिलना-जुलना या बातचीत का होते रहना अनिवार्य होता है, दूसरी ओर विशुद्ध सतोगुणी सत्ता यानी भगवान से हम प्रीति का सम्बन्ध सतोगुण/सत्संग यानी सात्विक स्थिति में रह कर ही बनाये रह सकते हैं, न कि रजोगुण की स्थितियों में रहते हुए ?•••सुधीर भाटिया फकीर
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