मनुष्य के जीवन में जितने अधिक अनुपात में सतोगुण बढ़ता जाता है, मनुष्य का जीवन सफल और सार्थक होता जाता है। इसीलिए शास्त्रों में आरंभिक कर्मकाण्ड जप, तप, व्रत, पर्व आदि करते रहने पर जोर दिया गया है, ताकि हमारा जीवन अनुशासित व व्यवस्थित रहे.....सुधीर भाटिया फकीर
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